...

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माफी
गुज़रे हुए ग़म के घाव,
कुछ अब भी हे बाकी।
मरहम डाले भी तो,
इन घावो के लिए नहीं काफी ।
/
गहराई कि नाप लो तो,
हृदय मे आ है रुकती।
माफी भी केसे मांगे,
वो निशान दिखते हे अबभी।
/
हर एक पल में,
अशान्ति कि वो कोफ।
सासे बरी हर धड़कन में,
धड़कति हे वो दर्द कि आवाज़।
/
पचताने कि वो सरद,
जब हो जायेगी पार।
शायद तब आ जायेगी कुछ हिम्मत,
तब आके मिल लेगे तुमसे अखरी बार।
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