याद.........
शायद तुम आज फिर से साथ आई,
बहती हवाओ संग अपनी याद भी लाई….
क्या तुम्हे याद है
जो पेड़ साथ लगाया था,
बढ़ती हुए शाखाओं संग
सपनों को भी बढ़ाया था…..
क्या तुम्हे याद है
यूं बालों पर हात फिराया करते थे,
उलझे हुए...
बहती हवाओ संग अपनी याद भी लाई….
क्या तुम्हे याद है
जो पेड़ साथ लगाया था,
बढ़ती हुए शाखाओं संग
सपनों को भी बढ़ाया था…..
क्या तुम्हे याद है
यूं बालों पर हात फिराया करते थे,
उलझे हुए...