...

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कहां खो गया सच्चा सनातन धर्म??
मैं सनातनी हूं...

कैसे निपटना है सभी से बोहोत अच्छे से जानता हूं,

कान्हा को सखा अपना व श्रीराम को स्रोत अपनी
प्रेरणा का मानता हूं।

समय आ गया है वो...

जब इस पूजनीय धर्म को मेरी ज़रूरत है,

सोचता हूं कहां गया हर सनातनी खो...

क्यूं बना बैठा बो पत्थर की इक मूरत है।

सुबह शाम बस सच्चे सनातनी को ही खोजता हूं,

मन में श्रीराम का नाम लेकर...

बस सदैव उन्हीं के बारे में सोचता हूं।

जागो सनातनियों...

तुम कब्तक सहोगे,

श्रीराम के विनम्र स्वभाव की आड़ लेकर...

तुम कब तक यूं सर झुकाओगे।

अरे कान खोलकर सुनलो मेरी इक ये बात,

श्रीराम अगर शांत स्वभावी हैं...

तो बो लड़ना भी जानते हैं,

अगर कोई दानव स्त्री सम्मान पर हाथ डाले...

तो बो उस रावण के सभी शीशों को काट फेकना भी जानते हैं।

भगवान कृष्ण के राधा प्रेम को अपने प्रेम का प्रेरणा स्रोत तो मानते हो तुम,

उन्हीं कृष्ण ने द्रौपदी के सम्मान की रक्षा की थी...
ये बात भी क्या जानते हो तुम?

एक सनातनी होते हुए भी मैं दुनिया की नई रीत से ऊब चुका हूं...

तुम सभी की कायरता देख, लज्जा के विशाल सागर में मैं डूब चुका हूं।

कब्तक इन राक्षस रूपी इंसानों से तुम डरोगे?

बताओ मुझे, कब तुम इनका खुलकर सामना करोगे?

एक बात जय श्रीराम का नारा तो लगाओ...

खुद महावीर हनुमान तुम्हारे पक्ष में दौड़े चले आयेंगे,

एक बार इस शोषण के खिलाफ आवाज़ तो उठाओ...

फिर देखो, इन दुष्टों को ऐसे कुकर्म करने के ख्वाब भी न आयेंगे।।।
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