ये भरोसा कमबख्त चायनीज़ है
ये भरोसा कमबख्त चायनीज़ लगता मुझे,
एक झटके में जो टूट जाता है,
फिर चाहे करलो कितनी कोशिशें,
दोबारा कहाँ ये जुट पाता है।
फिर देते रहना आजीवन दलीलें,
फोन क्यों हमेशा व्यस्त आता है,
सोशल मीडिया पर एक लाइक से तो,
बरबस शंशय पैदा हो ही जाता है।...