...

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नया सवेरा
भटकते भटकते दिनभर और सूरज थक गया
उन्माद अग्नि का रुक गया
देखना भी मुश्किल था जिसको
देखो आज सबसे ज्यादा झुक गया
अब रात का चांद भी दगा दे गया
कहा था हरदम साथ दूंगा तेरा
बस दस्तक अंधकार का हुआ था और
मेरी रोशनी चुराकर वह बेवफा हो गया
खोए रहो तुम अपने मद मे दूर जा कर
मैं फिर आऊंगा एक नया सवेरा लेकर
मरा नहीं हूं अभी मैं जिंदा हूं
बस थोड़ा तेरे किए पर शर्मिंदा हूं

वक्त का क्या यह तो कट जाएगा
अंधकार का बादल फिर छठ जाएगा
फिर से एक नया सवेरा आएगा
बदलेेगा वक्त और कल मेरा आएगा

ना तुझसे धोखा किया फिर भी तूने यह क्या किया फैसला तेरा ही था ख्वाहिश थी तुझे दौलत की
मां बाप तो सिर्फ बहाना था
दर असल तुझे ही दूर जाना था