...

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जड़ को भूल जिन्दगी का मज़ा ले रहा कोई...

दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल छोड़ प्रीत विहार कर रहा कोई,
जड़ को भूल जिन्दगी का मज़ा ले रहा कोई।
ऊंची इमारतों को घर का नाम दे रहा कोई,
लंबी सड़क और बड़ी गाड़ी को अपनी कमाई समझ रहा कोई;
अपनी गली मोहल्ला छोड़ देश विदेश घूमरहा कोई,
जड़ को भूल जिन्दगी का मज़ा ले रहा कोई।
बचपन की वो...