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समझ गई हों रीत
#आहदर्दछुपा
कुछ कहना चाहती हूं
पर जानती है तो कह नहीं पाती हूं
पता नहीं क्यों
पर कहीं ना कहीं मुझे लगता हैं
समझ जायेगी कि
मुझे बहुत याद आती है तेरी
पर देख सब कुछ मैं
हवा का रुख अख्तियार किया जा रहा हैं
किस ओर और कैसे कई रूपों जादू कर
बिखर गया है बहुत कुछ सीखा राह आसान नहीं होता जोड़ी हैं हमारी एक समय बहुत...