dil ki baat
हां दूर ले जाएगी ये
दिल की रंजिश तेरी
और नफरत मेरी
कैसे मिटे हमारी रंजीश
यही सोचता रहता हूं
मिटाने तेरे से नफरत
रोज खुदको ही ख़ुद से
उलझाते रहता हूं
कभी भूली नहीं...
दिल की रंजिश तेरी
और नफरत मेरी
कैसे मिटे हमारी रंजीश
यही सोचता रहता हूं
मिटाने तेरे से नफरत
रोज खुदको ही ख़ुद से
उलझाते रहता हूं
कभी भूली नहीं...