...

9 views

तुम्हारे प्रेम में
रात को जाग कर अपनी आँखें सुजा रहा हूँ मैं।
तुम्हारे प्रेम में जल जल के बुझता जा रहा हूँ मैं।

ज़हर ही साँस अब मेरी, ज़हर हो जा रहा हूँ मैं
ना ही जी रहा हूँ मैं, न मर ही पा रहा हूँ मैं।

समझ कर भी तुम्हें तुममें, उलझता जा रहा हूँ मैं
तुम्हारे प्रेम में जल जल के बुझता जा रहा हूँ मैं।

तुम लैला न बन पायीं, मजनू बन जा रहा हूँ मैं
तुम्हें ही याद कर कर के, खुद को भुला रहा हूँ मैं।

तोहफे में मिले तुमसे, वो ज़ख्म सहला रहा हूँ मैं
तुम्हारे प्रेम में जल जल के बुझता जा रहा हूँ मैं।

तुम्हें ढूँढूँ मैं हर लम्हा, न फिर भी पा रहा हूँ मैं
वक्त सा हो गया खुद भी, खत्म हो जा रहा हूँ मैं।

मुझे सब लोग कहते हैं, बदलता जा रहा हूँ मैं
तुम्हारे प्रेम में जल जल के बुझता जा रहा हूँ मैं।

खुद की आँख में खुद ही, अखरता जा रहा हूँ मैं
गिरा था प्रेम में एक दिन, सम्हल न पा रहा हूँ मैं।

हुआ ये प्रेम परिखे सा, कि गिरता जा रहा हूँ मैं
तुम्हारे प्रेम में जल जल के बुझता जा रहा हूँ मैं।

तुम्हें रोकूँ या जाने दूँ, समझ न पा रहा हूँ मैं
तुम्हारा प्रेम मृगजल सा, हिरण हो जा रहा हूँ मैं

हासिल भी नहीं हो तुम, न तुम्हें खो पा रहा हूँ मैं
तुम्हारे प्रेम में जल जल के बुझता जा रहा हूँ मैं।

©®हिरण
@AashutoshShukla

#mirage #ishq #love #gazal@Writco