...

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क्या है ये जिंदगी ,,,,?
क्या है ये जिंदगी ,,,,?

है सुबह की पहली किरण,
जगमगाती शाम है जिंदगी,

और ये पेचीदा कहीं पर है कहीं,
कहीं सीधी सरल आसां है जिंदगी,

न रुकें और न ही थकें सफर में हम,
बस चलते ही रहने का नाम है जिंदगी,

भाई का साथ और बहन का स्नेह भी,
पिता का प्यार मां का दुलार है जिंदगी,

रुक जाते हैं...