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'प्रेम' में हठी हो जाना ही तप है
#पौराणिककथाओंकीपुनरवृत्ति
लगभग दस हज़ार वर्षों तक तप के बाद पार्वती ने हठी शिव को पा ही लिया जिसे पाना जिद के बिना शायद संभव ही नहीं था...पार्वती आखिर एक दिन शिव की उदासीनता और मौन को तोड़ ही देती है जिसे तोड़ना ज़िद के बिना संभव ही नहीं था....अनंत काल तक उस हठी के साथ रहने की ज़िद..कौन ऐसे तन को चाहेगा जो सर्प गर्दन पर लपेटे हो और मन फक्कड़ी में लगा हो...लेकिन 'प्रेम' यही तो है तन और मन से परे...'मुझे लगता है प्रेम में हठी हो जाना तप ही तो है...'