थारी लगन मोहे ऐसी लागी मोहन
पानी भरण मै गई थी पनघट,
गगरी वही पर भुल गई !!
थारी लगन मोहे ऐसी लागी मोहन,
खुद की सुद भी भुल गई !!
हर मुरत हो बोले जैसे,
हर तरफ तु ही दिखे साँवरे...
गगरी वही पर भुल गई !!
थारी लगन मोहे ऐसी लागी मोहन,
खुद की सुद भी भुल गई !!
हर मुरत हो बोले जैसे,
हर तरफ तु ही दिखे साँवरे...