क्यों? हम हिंदी बोलने से शरमाते है!
क्यो? हम हिंदी बोलने से शरमाते है!
हिंदुस्तान के वासी हम हिंदुस्तानी खुद को कहते
बड़ी ही शान से स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं।
फिर भी आज हम हिंदी को शान से किसीके आगे क्यों नहीं पेश कर पाते हैं ।।
क्यों? हम हिंदी बोलने से शरमाते हैं!
हिंदी राज भाषा होते हुए भी
हम उसे बोलने से रुक जाते हैं ।
आज के इस आधुनिक युग में
हम हिंदी भाषा को गर्व से नही अपनाते हैं ।।
क्यो? हम हिंदी बोलने से शरमाते हैं!
सुबह उठते ही 'good morning' और रात को सोने से पहले 'good night' बोलकर सो जाते हैं।
सुप्रभात - शुभरात्री बोलने पर तो हम व्यंग्य कर जाते हैं।।
हम हिंदी के शब्दो को बोलने से हिचकिचाते हैं
और कोई हिंदी बोले भी तो उसे हम अनपढ़ गवार बोल जाते है।
पढ़े लिखे है हम ये बोलकर हिंदी को अनदेखा कर जाते हैं।।
क्यों? हम हिंदी बोलने से शरमाते हैं!
अंग्रेजी मे जनवरी ,फरवरी...को याद तो हम रखते
पर एक, दो,तीन.... को क्यों भूल जाते हैं।
अगर हमसे पूछले कोई देश की भाषा
तो हम शर्म से पानी -पानी हो जाते है।।
क्यों! हम हिंदी बोलने से शरमाते हैं?
पल भर के लिए सोचो ज़रा
हम सब 14 सितंबर को हिंदी दिवस तो मनाते हैं।
फिर क्यों बाकी दिन हम हिंदी भाषा को भूल जाते है।।
अगर ना आए ठीक से 'अंग्रेजी' बोलनी तो खुद को हम नीचा पाते हैं।
वही हम 'अंग्रेजी' के शब्दो को इस्तेमाल किए बिना हिंदी की कोई भी बात तक ना बोल पाते हैं ।।
क्यों? हम हिंदी बोलने से शरमाते हैं!
देश की भाषा को तो हम सब ना ठीक से पहचानते है।
जर्मन, फ़्रेंच, इंग्लिश भाषा को सीखने के लिए कई हज़ारो रुपये उड़ाते हैं।।
एक हज़ार वर्ष पुरानी हिंदी को हम अंग्रेजी के लिए भूल जाते है।
देश ही नही देश भाषा का भी सम्मान करो इतिहास के पन्ने यही हमे बताते हैं ।।
कोई बाताए मुझे आखिर
क्यो? हम हिंदी बोलने से शरमाते हैं!
-Monika✍
#hindidiwas
#matribhasha
हिंदुस्तान के वासी हम हिंदुस्तानी खुद को कहते
बड़ी ही शान से स्वतंत्रता दिवस मनाते हैं।
फिर भी आज हम हिंदी को शान से किसीके आगे क्यों नहीं पेश कर पाते हैं ।।
क्यों? हम हिंदी बोलने से शरमाते हैं!
हिंदी राज भाषा होते हुए भी
हम उसे बोलने से रुक जाते हैं ।
आज के इस आधुनिक युग में
हम हिंदी भाषा को गर्व से नही अपनाते हैं ।।
क्यो? हम हिंदी बोलने से शरमाते हैं!
सुबह उठते ही 'good morning' और रात को सोने से पहले 'good night' बोलकर सो जाते हैं।
सुप्रभात - शुभरात्री बोलने पर तो हम व्यंग्य कर जाते हैं।।
हम हिंदी के शब्दो को बोलने से हिचकिचाते हैं
और कोई हिंदी बोले भी तो उसे हम अनपढ़ गवार बोल जाते है।
पढ़े लिखे है हम ये बोलकर हिंदी को अनदेखा कर जाते हैं।।
क्यों? हम हिंदी बोलने से शरमाते हैं!
अंग्रेजी मे जनवरी ,फरवरी...को याद तो हम रखते
पर एक, दो,तीन.... को क्यों भूल जाते हैं।
अगर हमसे पूछले कोई देश की भाषा
तो हम शर्म से पानी -पानी हो जाते है।।
क्यों! हम हिंदी बोलने से शरमाते हैं?
पल भर के लिए सोचो ज़रा
हम सब 14 सितंबर को हिंदी दिवस तो मनाते हैं।
फिर क्यों बाकी दिन हम हिंदी भाषा को भूल जाते है।।
अगर ना आए ठीक से 'अंग्रेजी' बोलनी तो खुद को हम नीचा पाते हैं।
वही हम 'अंग्रेजी' के शब्दो को इस्तेमाल किए बिना हिंदी की कोई भी बात तक ना बोल पाते हैं ।।
क्यों? हम हिंदी बोलने से शरमाते हैं!
देश की भाषा को तो हम सब ना ठीक से पहचानते है।
जर्मन, फ़्रेंच, इंग्लिश भाषा को सीखने के लिए कई हज़ारो रुपये उड़ाते हैं।।
एक हज़ार वर्ष पुरानी हिंदी को हम अंग्रेजी के लिए भूल जाते है।
देश ही नही देश भाषा का भी सम्मान करो इतिहास के पन्ने यही हमे बताते हैं ।।
कोई बाताए मुझे आखिर
क्यो? हम हिंदी बोलने से शरमाते हैं!
-Monika✍
#hindidiwas
#matribhasha