...

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कच्चे रिश्ते
आज अपना ही अपने से रुसवा है,
जो कभी दिल में बसते थे,
आज उन्हीं से खफा हैं।
कैसा समय आ गया, जो रिश्ते कभी प्रेम के स्तंभ थे,
आज उन्हीं में खटास है।
जिनसे आज नज़रें मिलने का जी नहीं करता,
वो कभी इस दिल पर राज करते थे,
पर समय के खेल से कों बचा है, बाशिंदे!
अब तो आपने परायो से कम नहीं लगते।
फिर भी तू मत रुक,चलता जा,
सफलता की सीढ़ियां चढ़ता जा,
चाहे अकेला ही पहुंच उस मुकाम पर,
पर पहुंच, जहां से दुनिया सलाम ठोके।।
© anonymous68
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