...

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इश्क इंतजार है
#इंतज़ार



सांझ सवेरे बस मुरली बजा रहा था मैं,
गोकुल की गलियों में माखन चुरा रहा था मैं,
पल भर के लिए बस मिली नज़र जो उनसे,
तो समय थाम कर उनको अपने नैनों में बसा रहा था मैं।

पार करके हर एक चौखट उसके पास चला जा रहा था मैं,
सखियों संग उसको खेलता देख मन ही मन मुस्कुरा रहा था मैं,
हाथ थामकर नाम पूछ लिया मैंने अचानक से उससे,
घबराकर वो हाथ छुड़ाए और अलग ही उल्लास में जिए जा रहा था मैं।

आखरी नहीं है यह अपनी मुलाकात मिलते रहेंगे हम,
जन्मों-जन्मों का साथ है अपना ऐसे ही चलते रहेंगे हम,
चौंककर वो बोल बैंठी उदंड, हठी बालक कौन हो तुम,
'श्याम', राधा के साथ कितना खूबसूरत लगता है ये नाम तो अब राधे-श्याम सुनते रहेंगे हम।

सुनकर‌ राधा चौंक गई, कैसे पता चला नाम तुम्हें हमारा,
कबसे जानते हो हमें और कितना...