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papa
उस इंसान की अगर बात करू में तो सोचता हु कहा से शुरुवात करू में
जिसके साये में ग़मों से दूर रहता हूँ उसे शब्दों में कैसे बयां करू में
ये बात है उस इंसान की जिसे हम बाप कहते है
उसका हाथ कंधे पर हो तो हम मुस्किलो में भी मुस्कुराते रहते है.
हम उसका हाथ थाम कर चलना सीखते हैं जीवन के सफ़र में सम्भालना सीखते है .उसके दिल में ज़माने भर का गम पलता है फिर भी वो महसूस नहीं होने देता क्या होगा हमारा हम इस ज़माने का सामना कर भी पाएंगे ये डर उन्हें सोने नहीं देता
वो बाप ही होता है जो हमे किसी भी चीज के लिए रोने नहीं देता!♥️
© All Rights Reserved
जिसके साये में ग़मों से दूर रहता हूँ उसे शब्दों में कैसे बयां करू में
ये बात है उस इंसान की जिसे हम बाप कहते है
उसका हाथ कंधे पर हो तो हम मुस्किलो में भी मुस्कुराते रहते है.
हम उसका हाथ थाम कर चलना सीखते हैं जीवन के सफ़र में सम्भालना सीखते है .उसके दिल में ज़माने भर का गम पलता है फिर भी वो महसूस नहीं होने देता क्या होगा हमारा हम इस ज़माने का सामना कर भी पाएंगे ये डर उन्हें सोने नहीं देता
वो बाप ही होता है जो हमे किसी भी चीज के लिए रोने नहीं देता!♥️
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