#अलविदा
चाहूं तुम्हे बांधकर रखना
अजब ही दिल की मजबूरी है
मैंने चाहा तुमको जी भर
तुम भी चाहो क्या जरुरी है
कभी तुम मेरे दिल के
बैठे थे ऊंचे सिंहासन में
कैसे कहूं तुम्हे अलविदा
समाए हुए हो हर धड़कन में
यूं अलविदा मुझसे.. तुम्हे कहा न जाएगा
दिल भला दुबारा किसी को कैसे अपनाएगा
चलो कर लें खामोशियों से रास्ते अलग अलग
दिल बेचारा भी किसी रोज सब समझ जाएगा
अजब ही दिल की मजबूरी है
मैंने चाहा तुमको जी भर
तुम भी चाहो क्या जरुरी है
कभी तुम मेरे दिल के
बैठे थे ऊंचे सिंहासन में
कैसे कहूं तुम्हे अलविदा
समाए हुए हो हर धड़कन में
यूं अलविदा मुझसे.. तुम्हे कहा न जाएगा
दिल भला दुबारा किसी को कैसे अपनाएगा
चलो कर लें खामोशियों से रास्ते अलग अलग
दिल बेचारा भी किसी रोज सब समझ जाएगा