...

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दोहे
व्यथित ह्रदय से जन्म ले ,शब्द बहाए नीर।
रचनाओं में व्यक्त हो ,कवि के मन की पीर।।

कुछ कविताएँ यूँ बनीं, शुष्क और गम्भीर।
अक्षर-अक्षर में कहें,कवि के मन की पीर।।

हास्य,रुदन,अद्भुत,करुण, शांत ,क्रोध ,भय,वीर।
विविध भाव में दिख रही,कवि के मन की पीर।।

© दीp