अबोध मन
कभी जो झांक लेते
अबोध मन के भीतर
पलता डर
तो दिखता वहां
एक चंचल हिरण सा मन ...
कभी ऊंचे...
अबोध मन के भीतर
पलता डर
तो दिखता वहां
एक चंचल हिरण सा मन ...
कभी ऊंचे...