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वृक्षारोपण
पावन पर्व है वृक्षारोपण
धरती का हो श्रृंगार,
हरियाली से आच्छादित रहे
जग में आए बहार।
पीक काग को ठाह मिले
पत्तों में हो हलचल
मधुर मनोहर हो परिवेश
नदियां बहे कल-कल।
मोर नाचते पंख पसारे
झूमें वन -उपवन,
हंसो की कतार दिखते
हो प्रफुल्लित हर मन।
प्रकृति की अनुपम छटा
बिखरे चहुं ओर
हो हर हृदय में पल-पल
वृक्षारोपण का होर।
धरती का हो श्रृंगार,
हरियाली से आच्छादित रहे
जग में आए बहार।
पीक काग को ठाह मिले
पत्तों में हो हलचल
मधुर मनोहर हो परिवेश
नदियां बहे कल-कल।
मोर नाचते पंख पसारे
झूमें वन -उपवन,
हंसो की कतार दिखते
हो प्रफुल्लित हर मन।
प्रकृति की अनुपम छटा
बिखरे चहुं ओर
हो हर हृदय में पल-पल
वृक्षारोपण का होर।
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