...

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आशियाना तुम्हारा!
भटक रहे थे हम,
एक सुकून भरे आसरे के लिए,
तो उनके दिल का पता चला।
दिल तो हमारा तब टूटा,
जब उनके दिल में कोई और था,
एक ज़िद्दी मुसाफ़िर!

कि तुम्हारे ही ख़्वाब से,
शुरुआत होती है दिन की।
तुम्हारे ही ख़्वाब से,
ख़त्म होती है...