आज बड़े दिनों बाद
आज बड़े दिनों बाद कोई अजनबी दस्तक देके गया
बिखरे पड़े चमन को समेट के गया
गोया..हम लूट ना जाए फिर इस मोहब्बत की भीड़ मै
ये ख्याल हमको रहता है हर बार,
वो हस्कर कहती है कि इससे पहले इतना सीरियस इंसान नहीं देखा यार
अभी सब्र कितना करे तेरी तरह नहीं आता,की सतर पर मरे...
बिखरे पड़े चमन को समेट के गया
गोया..हम लूट ना जाए फिर इस मोहब्बत की भीड़ मै
ये ख्याल हमको रहता है हर बार,
वो हस्कर कहती है कि इससे पहले इतना सीरियस इंसान नहीं देखा यार
अभी सब्र कितना करे तेरी तरह नहीं आता,की सतर पर मरे...