...

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रिश्ते की डोर
रिस्ते की डोर पर बन्धे चलें आए हम
ना जाने किस तरह का धागा था वो

जिसको पकड़ कर चलें आए हम
छूट ना जाए ये धागा इस लिए
मजबूती से पकड़ कर चलें आए हम

धोखा दिया हमारी मजबूती ने की
कच्ची डोर पकड़ कर चलें आए हम

डोर की भी क्या गलती जो कच्ची थी
जिसे पकड़ कर हम बेखौफ चलें आए

थी हमारी पागल पन्ती कच्ची डोर लेकर
चलें आए हम
बनाने वाले की भी क्या गलती थी
सस्ते दाम पर् खरीद कर चलें आए हम


© Ankur tyagi