फिर एक बार
अक्सर याद आते हैं वो बचपन के दिन,
जब खेले हमने खेल कई हजार |
हस्ते गाते धूम मचाते दिन हो या रात,
दिल करता है जी लूँ उन्हें फिर एक बार |
पापा की वो डांट जिसने सदैव दिखाया मार्ग,
नटखट हम भी थे फिर भी था उन्हें विश्वास |
कड़कती धुप में थें वो पीपल की ठंडी छांव,
दिल करता है बैठ जाऊं उस छांव में फिर एक बार |
माँ की ममता और ढेर सारा प्यार,
मेरी एक हसी से ही जो हो...
जब खेले हमने खेल कई हजार |
हस्ते गाते धूम मचाते दिन हो या रात,
दिल करता है जी लूँ उन्हें फिर एक बार |
पापा की वो डांट जिसने सदैव दिखाया मार्ग,
नटखट हम भी थे फिर भी था उन्हें विश्वास |
कड़कती धुप में थें वो पीपल की ठंडी छांव,
दिल करता है बैठ जाऊं उस छांव में फिर एक बार |
माँ की ममता और ढेर सारा प्यार,
मेरी एक हसी से ही जो हो...