...

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फिर एक बार
अक्सर याद आते हैं वो बचपन के दिन,
जब खेले हमने खेल कई हजार |
हस्ते गाते धूम मचाते दिन हो या रात,
दिल करता है जी लूँ उन्हें फिर एक बार |

पापा की वो डांट जिसने सदैव दिखाया मार्ग,
नटखट हम भी थे फिर भी था उन्हें विश्वास |
कड़कती धुप में थें वो पीपल की ठंडी छांव,
दिल करता है बैठ जाऊं उस छांव में फिर एक बार |

माँ की ममता और ढेर सारा प्यार,
मेरी एक हसी से ही जो हो जाती निहाल |
उसकी ममता के आँचल में है अनोखी बात,
दिल करता है माँग लूँ वो आँचल फिर एक बार |

भाईयों संग पढ़ना और सीखना कई पाठ,
कितने भी हों झगरे फिर भी बना रहा प्यार |
बहुत की गलतियाँ फिर भी रहा वो साथ,
दिल करता है माँग लूँ वो साथ फिर एक बार |

दोस्तों संग अपना सुख दुःख बाटना,
और लड़ना झगड़ना बिना बात |
उनसे ही झगरे, उनसे ही सारा त्योहार,
दिल करता है मना लूँ उन्हें फिर एक बार |

सबको तंग करते मेरे शरारत भरे करतूत,
फिर भी सबने लाड लगाया, दिया अपना प्यार |
याद जिन्हें करके भींगती आँखे हर बार ।
दिल करता है जी लूँ वो यादें फिर एक बार |

© Abhishek Kumar