...

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तुम
यादों में जलता दिया
आँखों में सुरूर हो तुम
तुम हात से फिसलती
रेत ही सही ,मेरे
लिए सिर्फ ईश्क हो तुम

तेरे लिये जलना भी चाहे
उस आग की चिंगारी हो तुम
दर्द की रेगिस्तान में
फ़ूलों का बागबां हो तुम

मै रोज ढह जाता हूँ
मेरे ही आस्मान से
रात कही बन जाऊ ना
चाँद बहार दिदार तुम

मेरे तुम्हारें बीच का
ये फ़ासला कम करो
फिसल जाँऊ किनारे से
इस प्यासे का दरिया तुम
© Bkt...