दूर कोई कान्ति
#दूर
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
जैसे हृदय स्थल पे प्रहार कर रहा कोई।
चक्षुओं की चमक से प्रकाशित मन है,
उसकी...
दूर फिरंगी बन कर घूम रहा कोई,
मन बंजारा कहता है ढूंढ रहा कोई;
वृक्ष विशाल प्रीत विहार कर रहा कोई,
जैसे हृदय स्थल पे प्रहार कर रहा कोई।
चक्षुओं की चमक से प्रकाशित मन है,
उसकी...