दुनिया की फ़ितरत
अजीब आलम है इस अनोखी दुनिया का भी ,
खुदा भी खुद आ जाए तो परवरदिगार नहीं
समझती,
कला देखकर भी उसको कलाकार नहीं समझती
सीरत का बखान तो खूब करती है मगर
जो खूबसूरत नहीं उसका दीदार नहीं करती
बराबरी की चर्चाएँ महफ़िल में होती हैं बहुत
पर जो हमउम्र नहीं उसे...
खुदा भी खुद आ जाए तो परवरदिगार नहीं
समझती,
कला देखकर भी उसको कलाकार नहीं समझती
सीरत का बखान तो खूब करती है मगर
जो खूबसूरत नहीं उसका दीदार नहीं करती
बराबरी की चर्चाएँ महफ़िल में होती हैं बहुत
पर जो हमउम्र नहीं उसे...