...

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रेलगाड़ी

आओ हम सब साथी मिलकर,
खेले खेल, कोई निराला।
जो स्वास्थ्य की दृष्टि से हो,
जीवन में सबसे आला।
सबसे ह्ष्ट-पुष्ट साथी बन जाए,
हमारी रेल का इंजन,
ताकि खिंच सके, सब डिब्बों को,
बिना रुके अकिंचन।
सबसे छोटा साथी बन जाए,
हमारी रेल का गार्ड,
जिसके हरी झंडी देने पर,
चल दे हमारी रेल भक-भक-भक।
तेजी से छुक-छुक करती,
चलती जाती अपनी रेल।
आगे दिल्ली का स्टेशन बोले-
स्टेशन आया रुक-रुक-रुक।
स्टेशन आया रुक गई रेल,
खत्म हो गया अपना खेल।
डॉ अनिता शरण