...

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कैसे यकीन दिलाऊं
और कैसे
दिलाऊं यकीन तुम्हें
कि कितना
तुझमें हूँ शामिल,
लो रख दिए हैं लब
तुम्हारे माथे पर मैंने
अब ख़ुद ही
अंदाजा लगा लो तुम
मेरी कही - अनकही बात का,
हुई ना - हुई मुलाकात का,
बिखरे - सिमटे ज़ज्बात का!

© Kumaarkikalamse