ये क्या हुआ?
आज सूरज भी निस्तेज
शाखाएं एकदम शांत
कहीं कोई हलचल नहीं
दुःख में गमगीन
पेड़ों की कतारें
मौन धारण किए खड़ी है
कहीं पक्षियों की चहक नहीं
न भंवरों का गुंजार
सड़क जैसे पश्चाताप करती हुई
खुद को ही दोषी मान रही हो
खेतों...
शाखाएं एकदम शांत
कहीं कोई हलचल नहीं
दुःख में गमगीन
पेड़ों की कतारें
मौन धारण किए खड़ी है
कहीं पक्षियों की चहक नहीं
न भंवरों का गुंजार
सड़क जैसे पश्चाताप करती हुई
खुद को ही दोषी मान रही हो
खेतों...