...

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समानता
सब के बिच होनि चाहिये समानता
नहि हे ने चाहिये विभिन्नता
मनुष्य क्यो करता उच निच कि बात
अपने से निचि जाता वाले से नहि करता बात
हम करता उच निच जात पात
लेकिन कोइ ये नहि सेचता कि मित्रता करके करे अपनो को प्रपात


written by
:- Ravi .Kishore bhai bhanushali:_