...

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एक दृष्टिकोण!
कभी-कभी ऐसा लगता है,
जी भर कर रो लूं!

माना कि ये शरीर तुच्छ सा है आपके सामने,
ऐसे लगता है महादेव, आपसे लिपटकर,
मन हल्का कर लूं!

मोह, प्यार क्या है, एक चक्रव्यू या बवंडर,
वास्तव में क्या सही, क्या गलत?
यह ज्ञान प्राप्त कर लूं!

किसी के लिए अचानक से प्रेम कैसे उमड़ आता है,
क्यों कोई और उससे बात करे तो, मन सहम सा जाता है।
कैसे उससे मुंह मोड़ लूं ?

ऐसे लगता है, ये भी ऐसे ही मीठी-मीठी बातें करके,
उसे और मुझे दूर कर देंगे...
कैसे फिर से, यह यातना सह लूं?

फिर लगता है सब मायाजाल ही है,
बस झोला उठाकर भगवन तुम्हारी ओर चल दूं!
© pritz