...

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मैं उस रोज आऊँगा
न होगा जब कुछ गलत सही
और बिछड़न की बात न होगी
हम तब दुनिया से परे मिलेंगे
हों आज भले हम साथ नहीं
जब मैं तुझमें तू मुझमें होगी
तू जोग बनेगी मैं तेरा जोगी
तब सब रस्ते मेरे साथ मुड़ेंगे
मैं राही होऊंगा तू मंज़िल होगी
कुछ वादे पीछे छूट रहे हैं
सपने नैनों से फूट रहे हैं
तेरे सपनों को जीने आऊँगा
मैं तब तेरे आँसू पीने आऊँगा
रात चाँदनी होगी उस दिन
हम लहरों के साथ चलेंगे
इस बैरी जग की बात न होगी
हम दोनों उस रात मिलेंगे
सोचो कैसा मंज़र होगा
नम आँखे और ठंडी रेत
हाथ तेरा मेरे हाथ में होगा
तुम पैरों से रेत खुरचोगी
जहाँ दूर तलक सन्नाटा होगा
वहाँ कोई न आता जाता होगा
जज़्बातों का ज्वार चढ़ेगा
तब लहरों से खामोशी टूटेगी
और तुम मुझसे धीरे से पूछोगी
क्या तुम सचमुच में आये हो
क्या हम दोनों जीत गए
क्या ये मेरा कोई ख्वाब नहीं
तब लब चूम कर तुमसे बोलूँगा
खुद को तेरे पास हारकर
मैं प्यार जीतने आया हूँ
ये चन्द आखरी पल हैं मेरे
इनमें सदियाँ जीने आया हूँ
हाँ ये कोई ख्वाब नहीं है
मैं तुमसे मिलने आया हूँ
हाँ मैं तुमसे मिलने आया हूँ

@AashutoshShukla

©® -हिरण