...

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मऔदा
मसौदे में ज़िक्र नही था
के कब तक साथ निभाओगे,
कब बताया तुमनें
चंद बातें करोगें मुझसे
और राज़दार बन जाओगे,
ये तो मुँह ज़बानी बात ना थी
ये नीयत के कागज़ पे
खुदा के की मोहर के साथ थी।
सादे शब्दों में बड़े दावे थे






© maniemo