वैसे तो मैं व्यर्थ हूं।
वैसे तो मैं व्यर्थ हूं।
शब्द को पकड़ कर चलने वाला हूं।
बात करोगे तो जैसे मैं कोई भी व्यर्थ ख्याल हूं।
रिश्तो की समझ है मुझ में।
पर निभाने में असमर्थ हूं ।
किस्तों में बांट दिया है जीवन अपना।
इकलौता कोई समझ ले इतना समर्थ भी नहीं।
कभी सवाल...
शब्द को पकड़ कर चलने वाला हूं।
बात करोगे तो जैसे मैं कोई भी व्यर्थ ख्याल हूं।
रिश्तो की समझ है मुझ में।
पर निभाने में असमर्थ हूं ।
किस्तों में बांट दिया है जीवन अपना।
इकलौता कोई समझ ले इतना समर्थ भी नहीं।
कभी सवाल...