त्याग
पतझड़ में पत्ते झड़ते हैं और
मेरी चिंताएं भी,
मन मेरा मुग्ध हो जाता है
पत्तों के साथ साथ,
हरा भरा रहने वाला पेड़ जब
पात्रमुक्त हो जाता है आरंभ मे
थोड़ा उदास होता है पर जल्द
ही प्रसन्न हो जाता है क्योंकि
वह समझ जाता है यह प्रकृति का
नियम है......
बारी बारी सबको अपना फर्ज़ निभाना है
मन मेरा भी कभी उदास होता है
पर...
मेरी चिंताएं भी,
मन मेरा मुग्ध हो जाता है
पत्तों के साथ साथ,
हरा भरा रहने वाला पेड़ जब
पात्रमुक्त हो जाता है आरंभ मे
थोड़ा उदास होता है पर जल्द
ही प्रसन्न हो जाता है क्योंकि
वह समझ जाता है यह प्रकृति का
नियम है......
बारी बारी सबको अपना फर्ज़ निभाना है
मन मेरा भी कभी उदास होता है
पर...