" मेरी आत्मा "
एक बार मुझसे मिल , मिला दूंगी खुशियों के मंजर से
कोई दुखी ना कर पाएगा निकाल लूँगी दुखो के समुन्दर से
भरोसे पर भरोसा मत करना गर परमात्मा ना कर दू अंदर से
एक बार मुझसे मिल , मिला दूंगी खुशियों के मंजर से
दिया समय सबको अपना बने रहे मस्त कलंदर से
जीत की हासिल थोड़ी बहुत उसी में तुलना की सिकंदर से
बना दूंगी तुझे ऐसा मदारी की...