...

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देखते देखते
वो जो आँखों से इक पल ना ओझल हुवे
लापता हो गए देखते देखते

सोचता हूँ के वो कितने मासूम थे
क्या से क्या हो गए देखते देखते

वो जो कहते थे बिछड़ेंगे ना हम कभी
अलविदा हो गए देखते देखते

कोई पूछे के हमसे खता क्या हुई
क्यूँ खफ़ा हो गए देखते देखते

आते जाते थे जो सांस बन के कभी
वो हवा हो गए देखते देखते

जीने मरने की हम थे वजह और हम ही
बेवजह हो गए देखते देखते..

नुसरत फतेह अली खान