ॐ को कर स्मरण
#प्रतिक्षा
स्थिर तन चंचल मन,
अडिग प्रतिक्षा की लगन;
शम्भू जैसे पाने को गौरा संग,
अडिग रखना पड़ेगा प्रण;
तांडव मचा रहा है त्रिनयन,
कठिन पथ का हुआ चयन;
जटाधारी रूप को मिला पावन संग,
वज्र बरसा रहा है गगन;
रक्त से लथपथ है रण,
चक्रव्यू को तोड़ना है हर चरण;
नंदी पर चढ़कर धीरज संग,
ॐ को कर हर घड़ी स्मरण;
स्थिर तन चंचल मन,
अडिग प्रतिक्षा की लगन;
शम्भू जैसे पाने को गौरा संग,
अडिग रखना पड़ेगा प्रण;
तांडव मचा रहा है त्रिनयन,
कठिन पथ का हुआ चयन;
जटाधारी रूप को मिला पावन संग,
वज्र बरसा रहा है गगन;
रक्त से लथपथ है रण,
चक्रव्यू को तोड़ना है हर चरण;
नंदी पर चढ़कर धीरज संग,
ॐ को कर हर घड़ी स्मरण;