कितनी शिद्दत से
🌷कितनी शिद्दत से🌷
कितनी शिद्दत से... साथ निभाता है कोई,
रूठ जाऊँ बात-बात पे तो मनाता है कोई।
दिन-भर की थकन.. मिटातीं है वो पुकार,
शाम घर आते जब... मुझे बुलाता है कोई।
पत्थर सी फ़ितरत दिखाता है ऊपर से वो,
प्यार भरा स्पर्श पाकर पिघल जाता है कोई।
कितने अनकहे लफ्ज़ होठों पर...
कितनी शिद्दत से... साथ निभाता है कोई,
रूठ जाऊँ बात-बात पे तो मनाता है कोई।
दिन-भर की थकन.. मिटातीं है वो पुकार,
शाम घर आते जब... मुझे बुलाता है कोई।
पत्थर सी फ़ितरत दिखाता है ऊपर से वो,
प्यार भरा स्पर्श पाकर पिघल जाता है कोई।
कितने अनकहे लफ्ज़ होठों पर...