...

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प्रथम पूज्य
है एक बार की कथा सुनो,
शिव पार्वती की यह व्यथा सुनो।
पुत्रों में कौन हो प्रथम पूज्य,
हुए आपस में विचार कई।
आया फिर निर्णय एक सही,
संसार के चक्कर काट कर,
जो पहले लौट के आएगा,
होगा प्रथम विजेता वही,
वही प्रथम पूज्य कहलाएगा।
यह उद्घोष सुन, सब मन मे बुन,
प्रभु कार्तिकेय हर्षित हुए,
ले मयूर अपना निकल पड़े।
किन्तु गणेश चिंतित हुए,
मूषक न सरपट भागेगा,
थे प्रश्न औ दुविधा बहुत बड़े।
तब लंबोदर ने युक्ति बनाई,
थी बात एक मन में आई,
हैं मात- पिता संसार रूप,
है उनमें ही ये सृष्टि समाई।
न किया विलंब विनायक ने,
तक्षण वह अपना मूषक ले,
शिव पार्वती की परिक्रमा की।
तब एकदन्त की सूझ- बूझ,
ने हर्षित किया शिव- पार्वती को।
थी ज्ञान की ही विजय हुई,
मेधा ने हराया था गति को।

© metaphor muse twinkle