...

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आज़ादी
महिला दिवस विसेस,,,,
कहो केसे एक दिन का नारी सम्मान कर ले ,

तुमनी मागी थी आजादी मे,
तुम्हे बेड़ियॉ मे जकड़ के ले आया हू।

मे तुम्हे कहा से कहा तक ले आया हू,

तुम चार दिवारो रही होगी महफुज,
मे जिस्मो के बाज़ार तक ले आया हू ।

रही होगी तुम अपनो की लाड्ली"
मे तुम्हे हेवानो के बिच ले आया हू।

हसी खुसी किसी से दो बाते क़्या करली,
देखो मे तुम्हे सक के दायरे मे ले आया हू।

बनी होगी जब तुम माँ बहुत खुस हुई होगी,
एक लडके की चाह मे कितनी बेटियो का गला घोट,
बेटे को ले आया हू।

किया होगा तुमने सोलह सिंगार, बनी जब दुल्हन ,
मे दहेज के खातिर जलते अंगारो पे ले आया हू।
सोज़
© jitensoz