जीवन एक अद्भुत यात्रा
आता है याद ओ बचपन अपना,
मां बाप और अपनों का प्यार और दुलार,
और फिर पढ़ाई का दौर,
जिसके बाद नौकरी की होड़।
इन सब के बीच था शैतानी का दौर,
याद आता है स्कूल से टिफिन में,
पास के किसी बगीचे में घुसना,
पेड़ों पे चढ़ना, आम अमरूद तोड़ना,
माली की आवाज़ सुन, पेड़ों से कूदना,
दौड़ना और भागना,
फिर तोड़े हुए फलों को आपस में बांटना,
क्लास में पढ़ते हुए, किसी साथी को छेड़ना,
स्कूल से छुट्टी के बाद, घर आना,
मां के हाथों से खाना खाना।...
मां बाप और अपनों का प्यार और दुलार,
और फिर पढ़ाई का दौर,
जिसके बाद नौकरी की होड़।
इन सब के बीच था शैतानी का दौर,
याद आता है स्कूल से टिफिन में,
पास के किसी बगीचे में घुसना,
पेड़ों पे चढ़ना, आम अमरूद तोड़ना,
माली की आवाज़ सुन, पेड़ों से कूदना,
दौड़ना और भागना,
फिर तोड़े हुए फलों को आपस में बांटना,
क्लास में पढ़ते हुए, किसी साथी को छेड़ना,
स्कूल से छुट्टी के बाद, घर आना,
मां के हाथों से खाना खाना।...