...

7 views

उलझन
उलझन है कैसी ये, मै खुद से ही सवाल करती हूं
जिन बातो पे मेरा काबू ही नहीं वो बाते बार बार करती हूं
टूटे है कई बार बिखरे भी है, मसाला फिर भी वहीं है दुनिया के रंग में हम बदले ही नहीं है।
थोड़ी नादानियां सबसे छुपा के दिल के कोने में आज भी समेट रखी है।
बदले रंग चाहे जितने जमाना हम आज भी बदले नहीं है।
अब ये सफर बस यू ही निभाना है जिन्दगी मिली
तो इसे भी अब हसना सीखना है।
लहरों से लड़ कर तुफा के उस पार जाना है
मंजिल की परवाह नहीं, हमें इस रास्ते को खूबसूरत बनाना है।
थोड़ा साथ तुम...