...

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अपनी अहमियत मैंने खो दी
अपनों के ही बीच अपनी अहमियत मैंने खो दी
रोया हूँ इतना कि साथ हर खुशी भी मेरी रो दी

मानी हमेशा ही हर वक़्त हर बात मैंने सबकी
मानी नहीं किसी ने भी मैंने जब सलाह जो दी

खिला रहा सदा ही मैं किसी फूल की तरह
पर कागज़ के फूलों ने कब सुगंध किसी को दी

आकर गुज़र गए सब मेरी ज़ीस्त हो रास्ता जैसे
आकर न कोई ठहरा कि वो मंज़िल नहीं जो थी

अब रदीफ़ - काफ़िये का मैं ध्यान भी क्यूँ रखूँ
जज़्बात लिखे हैं आज कोई कल्पना नहीं जो थी
© तिरस्कृत

#pshakunquotes
#तिरस्कृत