लहजे आंखों से सजे मिलें हैं
लहजे आंखों से सजे मिलें हैं
इंसान,इंसान के दुश्मन बने मिलें हैं
देख नहीं पा रहे मानव मानवता को
भेदभाव में इतने व्यस्त हो चले हैं
बट गए हैं इतने किस्तों में
शुर धुल से घुले मिले हैं
कुछ किया...
इंसान,इंसान के दुश्मन बने मिलें हैं
देख नहीं पा रहे मानव मानवता को
भेदभाव में इतने व्यस्त हो चले हैं
बट गए हैं इतने किस्तों में
शुर धुल से घुले मिले हैं
कुछ किया...