...

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कश्ती
अभी खामोश है समंदर तो चलो पार कर लो।

आएगा तूफां तो कश्ती निकाल न पाओगे।।

न कर इश्क़ की तासीर तीखी है।

मिल गए जो लब तो प्यास बुझा न पाओगे।।

बैठे थे कभी रख सिर जिसके काँधे पर तुम अपना।

उसी का छोड़ कर तुम हाथ सरे बाज़ार हो आये।। -वैभव रश्मि वर्मा
© merelafzonse