...

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सुहागरात
मुझे सुनना है तुम्हारे होंठो से,
सुहागरात वाली मादक सिसकियाँ,
जब तुम और मैं खो जाए एक दूजे में,
और मैं तुम्हारे होंठो का रस पान करूँ,
तुम देना साथ मेरा अपनी उत्तेजना से,
जब मैं तुम्हे प्रेम की प्रकाष्ठता पर ले चलूं,
पहले तुम रहना सुहाग की सेज पर,
और मैं तुम्हारा वरन करूँ...!

भिगोकर एक दूसरे को हम प्रेम सरिता में,
एक दूसरे पर विश्वास की बरसात करें,
होकर निर्वस्त्र तुम और मैं,
हो जाये सम्पूर्ण प्रेम के रिश्ते में,
करूँ मैं चुम्बन तुम्हारे होंठो का,
पुनः तुम्हारे स्तनों को भी चुम लूं...!

जब हो जाये अर्धरात्रि प्रेम से परिपूर्ण,
तब तुम्हारे नाभि में जीभ से अपनी शरारत करूँ,
तुम...