...

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जिंदगी में आकर खुशियां.......
राहों में अंधेरे थे

सूनी सूनी सी जिंदगी हुई थी

जिंदगी में आकर खुशियां

जिंदगी से रूठ सी गई थी

उम्मीदें भी रेत की तरह

हाथों से कुछ यूं फिसली थी

ख्वाहिशें भी जब सारी

अधूरी सी ही रह गई थी

तुमने थामा था

तब हाथ मेरा

जब रूठा था

मुझसे रब मेरा

मेरी अंधेरों से भरी जिंदगी का

तब तू बन

गया था सवेरा

फिर हुआ क्या था ऐसा

यकीन की डोर

जो संग तेरे बांधी थी

तुमने ही

विश्वास की

वो डोर तोड़ दी है

मन ये उदास है

ख्वाबों की जगह आँखो में नमी

ठहर सी गई है

ये धड़कनें

पूछे तुझसे साथियां

क्या मेरी थी खता

देना था ना जब साथ तो

ये हाथ क्यों थामा था

मुझको यूं रुलाकर

आखिर तुमने...