यहीं है जन्म-मरण
कौन सा है अपना देश?
यह काया? यह माया?
या है परलोक कहीं
जहाँ धरते हैं
हम दूजा वेश?
इस लोक का हमको
ज्ञान हुआ है
परलोक परन्तु कहो
कहाँ है!
इस लोक मैं स
सूरज-चाँद धरा है
परलोक मैं जाने
क्या भरा है!
पांच तत्व व पांच इंद्रियाँ
कहाँ इनका समावेश?
ज्ञानी कहते इसे
छोङ है जाना
नही है ये अपना ठिकाना
पर अपने ठिकाने
का ठोर कहाँ है?
क्या जंगल, मंगल व नहीं
वहां क्लेश?
जिसका कोई अता नहीं
जिसका कोई पता नहीं
न किसी ने देखा वो परिव्रेश
कैसे कह दें कि है वो
अपना देश
हाँ यही है यही है
अपना देश
यह जीवन अपना देश
© shivshakti-thoughts
यह काया? यह माया?
या है परलोक कहीं
जहाँ धरते हैं
हम दूजा वेश?
इस लोक का हमको
ज्ञान हुआ है
परलोक परन्तु कहो
कहाँ है!
इस लोक मैं स
सूरज-चाँद धरा है
परलोक मैं जाने
क्या भरा है!
पांच तत्व व पांच इंद्रियाँ
कहाँ इनका समावेश?
ज्ञानी कहते इसे
छोङ है जाना
नही है ये अपना ठिकाना
पर अपने ठिकाने
का ठोर कहाँ है?
क्या जंगल, मंगल व नहीं
वहां क्लेश?
जिसका कोई अता नहीं
जिसका कोई पता नहीं
न किसी ने देखा वो परिव्रेश
कैसे कह दें कि है वो
अपना देश
हाँ यही है यही है
अपना देश
यह जीवन अपना देश
© shivshakti-thoughts